लेखनी प्रतियोगिता -27-Jan-2023 वीर बहादुर मेरे परिवार का
प्रदीप सुनीता की शादी को दस साल बीत चुके थे। लेकिन उनको अब तक संतान का सुख नहीं प्राप्त हुआ था। दस साल बीतने के बाद उनके घर एक बेटे का जन्म होता है। प्रदीप अपने बेटे के जन्म की खुशी में गांव वालों को बहुत बड़ी दावत देता है।
प्रदीप और सुनीता को बड़ी मन्नतों और दुआओं के बाद संतान का सुख मिला था। इसलिए उनके बेटे को छोटी से छोटी तकलीफ होती थी, तो वह शहर के बड़े अस्पताल में डॉक्टर से चेक करवाते थे। जब डॉक्टर यह कहता था कि "तुम्हारा बेटा बिल्कुल ठीक-ठाक और तंदुरुस्त है।" जब जाकर प्रदीप और सुनीता चैन की सांस लेते थे। और जब वह दोनों अपने बेटे को अस्पताल से घर लाते थे तो पहले मंदिर में पूजा पाठ करके गरीबों को दान पुण्य करते थे। प्रदीप किसी काम से जब दस बहारा दिन के लिए शहर जाता था, तो वहां से बार-बार फोन करके अपनी पत्नी सुनीता से अपने बेटे का हालचाल पूछता रहता था।
प्रदीप को कुत्तों से बहुत नफरत थी। गांव के रास्ते में कोई कुत्ता भोक्ता हुआ उसे मिलता था, तो वह पत्थर उठा उठा कर उस कुत्ते को मारता था। प्रदीप के घर के बाहर एक पेड़ था उस पेड़ के नीचे काले रंग का कुत्ता बैठा रहता था। वह काला कुत्ता उसी पेड़ के नीचे बचपन से खेल कूद कर बड़ा हुआ था। गांव के सब लोग उस कुत्ते को कालू के नाम से पुकारते थे। प्रदीप उस काले कुत्ते को वहां से भगा भगा कर थक चुका था, लेकिन वह कुत्ता दोबारा घूम फिर कर वहीं आ जाता था।
प्रदीप की पत्नी सुनीता रोज प्रदीप से छुपकर कालू कुत्ते को एक बड़े कटोरे में दूध ब्रेड खाने के लिए देती थी। वह कालू से बहुत प्यार करती थी।
एक दिन सुनीता घर के आंगन में चारपाई पर अपने बेटे को लिटा कर उसके हाथ में दूध की निप्पल देकर घर के अंदर काम करने चली जाती है।
उसके घर के अंदर जाने के बाद सुनीता के बेटे की चारपाई पर एक जहरीला सांप आकर बैठ जाता है। जहरीला सांप अपना फन फैलाकर दूध की निप्पल की तरफ देखने लगता है।
प्रदीप के घर के सामने जो पेड़ था, उसके नीचे कालू बैठा हुआ था। कालू की नजर चारपाई के ऊपर बैठे हुए जहरीले पर जाती है।
कालू सांप को देखकर जल्दी से चारपाई के पास भागकर पहुंच जाता है। और सांप को देखकर तेज तेज भोकने लगता है। कालू की तेज तेज भोकने की आवाज सुनकर सुनीता जल्दी से घर से बाहर आती है। और अपने बेटे के पास जहरीले सांप को बैठा देख तेज तेज रोने लगती है।
सुनीता की तेज तेज रोने की आवाज सुनकर आस-पड़ोस के लोग इकट्ठा हो जाते हैं। कालू भोक भोक कर जहरीले सांप को वहां से भगा देता है। आस-पड़ोस के लोग जब आते हैं तो सुनीता उनको बताती है कि "आज कालू की वजह से मेरे बेटे की जान बच गई।"कालू चारपाई के पास बैठकर इन सब को देख कर धीरे-धीरे पूछ हिला रहा था।
उसी समय प्रदीप दुकान से सामान लेकर घर आता है। कालू को अपने बेटे की चारपाई के पास बैठा देखकर, प्रदीप अपने मन में सोचता है कि कालू ने मेरे बेटे को काट लिया है, इसलिए सब लोग इकट्ठा हुए हैं।
प्रदीप क्रोधित होकर एक मोटा सा झंडा उठाकर कालू को डंडे से पीटने लगता है। प्रदीप की पत्नी सुनीता प्रदीप के हाथ से डंडा छीन कर फेंक देती है। और जहरीले सांप की सारी बात प्रदीप को बताती है। और प्रदीप से कहती है कि "आज कालू की वजह से हमारे बेटे की जान बच गई है।"
कालू पिटने के बाद पेड़ के नीचे जाकर बैठ जाता है। सुनीता से सारी बात सुनने के बाद प्रदीप को कालू को पीटने का बहुत अफसोस होता है। प्रदीप एक कटोरे में दूध ब्रेड डालकर कालू को उस पेड़ के नीचे खिलाने जाता है। प्रदीप कालू को गले लगाता है और गांव वालों के सामने कहता है कि "यह मेरे परिवार का वीर बहादुर है।"
डॉ. रामबली मिश्र
31-Jan-2023 08:05 PM
बेहतरीन
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Pranali shrivastava
31-Jan-2023 03:34 PM
V nice 👍🏼
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Rajeev kumar jha
31-Jan-2023 12:44 PM
Nice
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